एक बार की बात है, एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था। उसके पिता की मृत्यु के बाद से ही, उसे और उसकी मां को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। लड़का ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पा रहा था और इसलिए उसे गांव के अन्य बच्चों से अलग महसूस होता था।

एक दिन, गांव में एक मेला आया। लड़का भी उस मेले में जाने की इच्छा रखता था, लेकिन उसके पास मेले में जाने के लिए पैसे नहीं थे। उसने अपनी मां को बताया कि उसे मेले जाना है और वह बहुत खुश हो गईं।

दूसरे दिन, लड़का अपनी मां के साथ मेले गया। मेले में बहुत सारी चीजें थीं, जैसे कि खिलौने, जहाज, फेरी व्हील और बड़ी चकरदारी। लड़का को देखकर खुशी की लहर छाई और उसने देखा कि दूसरे बच्चे खिलौने खरीद रहे थे। वह इसे देखकर थोड़ा उदास हो गया क्योंकि उसके पास खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।

लड़के की मां ने उसकी उदासी देखी और उसे पूछा, “तू क्यों उदास है, मेरे बेटे?” लड़का ने कहा, “मैं इतने खुश था कि मेले में आने के लिए, लेकिन मुझे कुछ खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।”

मां ने एक मुस्कान देते हुए कहा, “बेटा, खिलौनों की दुकान में खरीदने के लिए पैसे नहीं होने के कारण तुम्हें उदास नहीं होना चाहिए। हमेशा ध्यान रखो कि खुशी और आनंद वस्त्रधारण करने के लिए पैसे की ज़रूरत नहीं होती है।”

लड़के ने अपनी मां की बात समझी और वह फिर से हंसने लगा। उसने अपनी मां को धन्यवाद दिया क्योंकि उन्होंने उसे एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। उसका मतलब यह था कि वास्तविक सुख और आनंद आपके मन की स्थिति से आते हैं, न कि सामग्री वस्तुओं से।

यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमें अपने जीवन में खुश और संतुष्ट रहना चाहिए, चाहे हमारे पास धन हो या न हो। सच्ची सुखी और आनंदी जिंदगी मन की स्थिति में निहित होती है, और हमें इसे खोजने की कोशिश करनी चाहिए, सामग्री द्वारा प्राप्त क